भारतीय संविधान का 7वां संशोधन | 7th Amendment of Indian Constitution

भारतीय संविधान का 7वां संशोधन (1956): एक ऐतिहासिक बदलाव

संविधान का 7वां संशोधन भारतीय इतिहास का एक अहम मोड़ था, जिसने केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का संतुलन बदल दिया। इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेंगे कि यह संशोधन क्यों हुआ, इसके पहले और बाद में क्या अंतर आया, सुप्रीम कोर्ट की क्या भूमिका रही और प्रमुख नेताओं की क्या राय थी।

📚 विषय सूची (Table of Contents)

7वें संविधान संशोधन में क्या था?

भारतीय संविधान का 7वां संशोधन 1956 में पारित हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य था राज्यों की पुनर्संरचना करना। यह States Reorganisation Act, 1956 के साथ जुड़ा हुआ था, जिससे भारत को भाषाई आधार पर नए राज्यों में बांटा गया।

संविधान में Part 1 और Schedule 1 को संशोधित कर केंद्र और राज्यों के अधिकार क्षेत्रों में पुनः परिभाषा की गई।

इस संशोधन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

1947 में भारत की आज़ादी के बाद, राज्यों की सीमाएं ऐतिहासिक और प्रशासनिक आधार पर तय थीं, न कि भाषाई या सांस्कृतिक आधार पर। इससे लोगों में असंतोष था, विशेष रूप से आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों में।

फजल अली आयोग की सिफारिशों के आधार पर भाषाई राज्यों के निर्माण की सिफारिश की गई। इसे लागू करने के लिए 7वां संविधान संशोधन आवश्यक था।

संशोधन कब और कैसे किया गया?

  • तारीख: 19 अक्टूबर 1956 को संसद में पारित हुआ
  • अधिसूचना: 1 नवंबर 1956 से लागू हुआ
  • संविधान में संशोधन: अनुच्छेद 1, 3, 4, 153–237 और अनुसूचियों में परिवर्तन

संशोधन से पहले और बाद में क्या बदलाव हुए?

संशोधन से पहले:

  • भारत में कुल 27 राज्य थे: 9 पार्ट A, 9 पार्ट B और 10 पार्ट C राज्य
  • राज्य भाषा या संस्कृति के अनुसार व्यवस्थित नहीं थे

संशोधन के बाद:

  • पार्ट A, B, C को समाप्त कर सभी राज्यों को समान स्तर पर लाया गया
  • भारत में अब 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश
  • भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन हुआ

इस संशोधन को लेकर प्रमुख नेताओं और विशेषज्ञों के विचार

  • पंडित नेहरू: "यह संशोधन भारत की एकता को और मजबूत करेगा"
  • सरदार पटेल (पूर्व विचार): "भाषाई राज्यों से राष्ट्र की एकता को खतरा हो सकता है"
  • डॉ. अंबेडकर: "प्रत्येक राज्य को अपनी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने का अधिकार होना चाहिए"

हालाँकि, इस संशोधन को लेकर कुछ विरोध भी था। कई लोगों को डर था कि भाषाई आधार पर राज्य बनाना भविष्य में अलगाववाद को जन्म दे सकता है।

सुप्रीम कोर्ट से संबंधित कोई वाद

7वें संविधान संशोधन के बाद कुछ राज्यों ने राज्य पुनर्गठन अधिनियम को चुनौती देने की कोशिश की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद को राज्यों की सीमा और संख्या बदलने का पूरा अधिकार है।

यह फैसला Berubari Union Case (1960) में भी महत्वपूर्ण रहा, जहां कोर्ट ने कहा कि भारत की सीमाओं और राज्यों को संशोधित करना संविधान का संवैधानिक अधिकार है।

❓ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

7वां संविधान संशोधन कब लागू हुआ?

1 नवंबर 1956 को यह संशोधन प्रभाव में आया।

इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य क्या था?

राज्यों का भाषाई आधार पर पुनर्गठन करना और केंद्र शासित प्रदेशों की स्थापना करना।

States Reorganisation Act क्या था?

1956 में पारित यह अधिनियम राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित करने का कानून था।

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निष्कर्ष: 7वां संविधान संशोधन भारत की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था का एक ऐतिहासिक पड़ाव था। इसने भारतीय संघ को भाषाई और सांस्कृतिक दृष्टि से अधिक संगठित और मजबूत बनाया।

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